۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई

हौज़ा / हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों के चेहलुम की अज़ादारी पर इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई का तेहरान यूनिवर्सिटी में आयोजित अजादारी मे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए संबोधन।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,  तेहरान यूनिवर्सिटी में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों के चेहलुम की अज़ादारी हुई जिसमें इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए भाग लिया।

अज़ादारी के प्रोग्राम में सुप्रीम लीडर ने अपनी स्पीच में आशूर से अरबईन यानी 10 मोहर्रम सन 61 हिजरी से 20 सफ़र सन 61हिजरी तक की मुद्दत को इस्लामी इतिहास का सबसे अहम दौर क़रार देते हुए कहा कि अगर आशूरा बलिदान के जज़्बे के साथ जेहाद का चरम बिंदु था तो ये चालीस दिन हक़ीक़त से पर्दा उठाने वाले बयान के ज़रिए जेहाद के चरम बिंदु वाले दिन थे। आपने कहा कि पैग़म्बर के घराने के इस आंदोलन ने कर्बला की घटना को अमर बना दिया। ये बयान और वर्णन इस बलिदान को मुकम्मल करने वाली वाली कड़ी थी।

इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने दुश्मन की तरफ़ से अलग अलग-अलग साधनों से किए जाने वाली प्रचारिक यलग़ार का ज़िक्र करते हुए सच्चाई के वर्णन के मिशन को दुश्मनों की प्रचारिक यलग़ार को नाकाम बनाने वाला तत्व बताया। उन्होंने कहा कि नौजवान तैयार हो जाएं और सच्चाई को बयान करने के रास्ते यानी उस रास्ते पर क़दम रखें जिसे आशूर से अर्बईन तक इन चालीस दिनों में हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा ने तय किया।

इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर ने बल दिया कि बहुत सी सच्चाइयां हैं जिन्हें बयान किया जाना चाहिए, क्योंकि अगर इन बिन्दुओं के संबंध में जनमत भ्रांति का शिकार रहा तो यह हालत उसे गुमराह कर सकती है। 

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने स्टूडेंट्स पर ज़ोर दिया कि वे सच्चाई के वर्णन के विषय को अहमियत दें और हर एक छात्र चेराग़ की तरह अपने आस-पास के माहौल को रौशन बनाए और भ्रांतियों को दूर करे।

सुप्रीम लीडर ने साइबर स्पेस और मीडिया की तरफ़ से बनाए गए माहौल की वजह से सच्चाई को बयान करने और भ्रान्तियों के जवाब के लिए उपलब्ध साधन को बहुत ही अच्छा अवसर क़रार दिया। उन्होंने कहा कि आप नौजवान सोशल मीडिया पर सही विचारों को फैला कर जेहाद कर सकते हैं।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने बल दिया कि इस रास्ते में नैतिक मूल्यों पर अमल और अपशब्द, धोखा तथा झूठ से दूरी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि तार्किक बयान नैतिकता से सजा होना चाहिए।

इस्लामी क्रान्ति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नौजवानों के पास विचार, बुद्धि और बहुत ज़्यादा जानकारी पर संतोष जताते हुए इन ख़ूबियों को रोज़ाना बढ़ाने पर बल दिया और कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का रास्ता मीठा और सफल है जो निश्चित नतीजे तक पहुंचता है। आप हुसैनी शिक्षाओं की मदद से आत्मिक व भौतिक कल्याण तथा सफलता की चोटियों तक पहुंच सकते हैं और यही सही रास्ता है।

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